Tuesday, December 10, 2019

जिंदगी जीना कुदरत से सीखो

कुदरत क्या कहती है, क्यों कहती है,  और कैसे कहती है?  यह तो ऊपर बाले की आवाज़ है जिसको कोई मिटा नहीं सकता.
दोस्तों हम सबको कुदरत और मनुष्य का क्या सम्बन्ध है ये तो पता ही है. यह सम्बन्ध अध्यापक और शिष्य की तरह है. मेरा तो यह मानना है कि प्रकृति ही हमारी सबसे बड़ा गुरु है. यह हमें हर पल कुछ न कुछ सीखाती रहती है बस जरूरत है तो थोड़ा ध्यान देने की. आज तक मनुष्य ने जो कुछ भी हासिल किया वो प्रकृति  से सीख लेकर ही किया है. प्रकृति हमे ऐसे गुण भी सीखाती है जिससे हम अपने जीवन मे सकारात्मक परिवर्तन ला सकते है और अपनी जिंदगी को ओर बेहतर बना सकते हैँ. बैसे तो हम हर क्षण मे कुदरत से कुछ ना कुछ सीख सकते है जैसे कि:-

पतझड़:-कभी-2 हमारे साथ कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिससे हम अपने आप को उदास कर  लेते है. ऐसा लगता है कि अब कुछ नई  हो पायेगा. जरा सोचिये पतझड़ के समय जब पेड़ मे ऐक भी पत्ती नही बचती है तो क्या उस पेड़ का अंत हो जाता है? वो पेड़ हार नही मानता, वो पेड़ अडिग हो खडा रहता. कुछ समय बाद ही उसमे नयी पत्तियाँ आनी शुरू हो जाती है और फिर से बहार आ जाती  है। बसंत आने पर उसमे फिर से फूल खिलना शुरू हो जाते हैँ. यही प्रकृति  का नियम है. ठीक इसी तरह अगर हमारे जीवन मे कुछ बुरा पल आए तो इसका मतलब अंत नही बल्कि यह इस बात का इशारा है कि हमारे जीवन मे भी नयी बहार आयगी। अत: हमे सब कुछ भूलकर नयी जिन्दगी की शुरूआत करनी चाहिये. यह  विश्वास रखना चाहिए कि नयी जिन्दगी पुरानी से कही बेहतर होगी.

र्बत:-जब कोई मनुष्य पर्वत की ऊँची चोटी से जोर से आवाज लगाता है तो वही आवाज वापस लौटकर उसी को सुनाई देती है. यही नियम हमारे जीवन मे भी लागू होता है. हम वही पाते है जो हम दूसरो को देते है. हम जैसा व्यवहार दूसरो के लिये करते है वही हमे वापस मिलता है यदि हम दूसरो का सम्मान करते है तो हमे भी सम्मान मिलेगा. यदि हम दूसरो के बारे मे गलत भाव रखेँगे तो वो वापस हमे ही मिलेगा. अत: आप जैसा भी व्यवहार करे याद रखिये कि वो लौटकर आपको ही मिलने वाला है.
तो दोस्तों कुदरत से बहुत कुछ सीखा जा सकता है जिसको हम अपनी सकारात्मक जिंदगी मे अपना सकते हैं.